Letter to the Committee of Eminent Persons
Our letter to the committee.
In the notification they had explicitly asked for all the correspondance to be in English only. To protest, we have written to them in Hindi.
सेवा में:
सेतुसमुद्रम पोतमार्ग परियोजना की विशिष्ट गणमान्य-जन समिति,
मालगै, 30/95 पी एस कुमारस्वामी राजा (ग्रीनवेज़) मार्ग
चेन्नई 600 028
माननीय महोदय,
विषय: परियोजना-विषयक आपत्तियाँ व सुझाव
राष्ट्रीय व स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञप्ति के माध्यम से आपने जनसामान्य को आमंत्रित किया था कि परियोजना के विषय मे आपत्तियाँ एवँ सुझाव आप तक पहुँचाये जा सकते हैं. विज्ञप्ति मे आपने स्पष्ट कर दिया था कि उक्त पत्राचार आपको केवल अंग्रेजी भाषा मे ही स्वीकार्य होंगे. महोदय, सर्वप्रथम आपको यह चेत हो कि भारत-जन की भाषा अंग्रेजी नहीं वरन अनेक भारतीय भाषायें हैं, और भारतीय भाषाओं के प्रति आपकी अपमान-जनक अवहेलना न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि भर्त्सना की भी पात्र है. आपको कदाचित होने वाली असुविधा के लिये खेद के साथ, यह पत्र भारतीय राजभाषा हिन्दी मे सगर्व और सविनय आपको सम्बोधित है.
रामसेतु एक साँस्कृतिक-धार्मिक धरोहर है, इसके साथ कैसी भी छेड-छाड करने का किसी को अधिकार नहीं! 'राम हुए थे अथवा नहीं' - न केवल यह नितांत अनावश्यक विवाद है - बल्कि 'सेतु का निर्माण कैसे हुआ' - यह भी सर्वथा अप्रासंगिक और व्यर्थ का प्रलाप है. अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक संस्थान (यूनेस्को) एवँ भारतीय संविधान, दोनों के दृष्टिकोण से, प्रासंगिक और वैधानिक प्रश्न केवल इतना ही है कि क्या रामसेतु एक अत्यंत दीर्घ काल से जन-मानस मे धरोहर का स्थान रखता है? इस प्रश्न के उत्तर मे बहुत कुछ प्रस्तुत किया जा सकता है, किंतु सारांश मे केवल कुछ बिन्दु इंगित करना पर्याप्त होगा.
क) हिन्दू धर्म-शास्त्रों - न केवल वाल्मीकि रामायण बल्कि विभिन्न असंख्य लोकप्रचलित रामायणों, पुराणों (विष्णु,पद्म, वायु, नारद, स्कान्द इत्यादि), एवँ महाभारत मे - रामसेतु का प्रचुर और प्रधानतापूर्वक महत्व-मण्डन मिलता है. रामसेतु की महिमा त्रेता युग के अक्षय चिन्ह और जनसामान्य के लिये अनंत तक सर्व-पाप-नाशक तीर्थ के स्वरूप मे की गई है. बौद्ध ग्रंथोँ जैसे कि लंकावतार सूत्र मे भी सेतु का वर्णन है. ये सभी ग्रंथ सहस्त्राब्दियों या कम-से-कम अनेक शताब्दियों पुराने हैं.
ख) हिन्दू परम्परा मे सेतु वह अद्वितीय तीर्थ-उपकरण माना गया है, जहाँ मनुष्य जघन्यातिजघन्य पापोँ से मुक्ति हेतु प्रायश्चित्त कर पाता है. स्कान्द महापुराण जो कि समस्त पुराणों मे सबसे दीर्घ और सुविस्तृत है, इसमे ऐसा वर्णन है कि ब्रम्ह-हत्या और गुरुतल्पगमन (गुरु-पत्नी के साथ अनैतिक आचरण) - इन पापों से मनुष्य की मुक्ति केवल रामसेतु-सेवन से हो सकती है. (परिशिष्ट 1)
ग) प्रत्येक भारतीय भाषा के साहित्यिक वांग़्मय मे भी रामसेतु कई शताब्दियों से कौतुक का विषय निरंतर बना रहा है. प्रथम शताब्दी ईसापूर्व मे कविकुलगुरु कालीदास-कृत रघुवंश से ले कर सातवीं/आठवीं सदी मे महाकवि भवभूति द्वारा रचित महावीरचरितम तक रामसेतु ने संस्कृत कवियों के साहित्य सृजन मे प्रचुर स्थान पाया. अन्य भाषाओं के कवियों जैसे कि तमिल मे महाकवि कम्बन ने बारहवीं सदी मे सेतु पर बहुत कुछ लिखा.
घ) रामसेतु के नाम से, प्राचीन ऐतिहासिक काल से ही सुदूर दक्षिण तमिलनाडु के राजाओँ को सेतुपति की उपाधि प्राप्त होती थी. जनश्रुति इन सेतुपति राजाओं को अत्यंत प्राचीन मारवा जाति के वीर बताती है, जिन्हे कि रामसेतु की सुरक्षा का दायित्व मिला था. अंकित और पुष्ट इतिहास मे भी, रामनाड के सेतुपति राजाओं का वर्णन कम-से-कम 11-वीं शताब्दी जितने पहले से आना आरम्भ हो जाता है जब कि सम्राट राजराजा चोल द्वारा उन्हे रामसेतु की रक्षा का प्रभारी नियुक्त किया जाना वर्णित है. (परिशिष्ट 2)
च) 18-वीं व 19-वीं सदी के योरोपीय इतिहासकारों और इण्डोलाजिस्ट्स ने भारतीय जन में सेतु की महत्ता के विषय मे प्रायः लिखा है. एक ऐसा ही रोचक वर्णन रायल एशियाटिक सोसाइटी के विख्यात फिलोलोजिस्ट राबर्ट कस्ट ने रामसेतु के प्रति जनता की आस्था के विषय मे किया था. उन्होने 1846 मे लिखा कि, 'राम ने कहा था जब तक सृष्टि है तब तक रामसेतु बना रहेगा, और उनकी वाणी सच ही होती लग रही है.' (परिशिष्ट 3)
छ) भारतीय सर्वेक्षण का प्राचीनतम एम्ब्लेम एक समय तक हुआ करता था - 'आसेतु हिमाचलम्' : सेतु से हिमालय तक. इस प्रकार स्वयम् ASI का एम्ब्लेम तक सेतु की महत्ता को स्वीकार करता था. (परिशिष्ट 4)
ज) 1974 मे भारत और श्रीलंका द्वारा की गई समुद्रीय परिसीमन सन्धि ने भी सेतुसमुद्रम के जल को 'ऐतिहासिक' घोषित किया था.
झ) भारत की सबसे पहली डब की जाने वाली फिल्म की ख्याति जिस चित्रपट को प्राप्त है, वह है - 'सेतुबन्धन'. जनमानस मे रामसेतु के प्रति आस्था को देखते हुए, भारतीय सिनेमा के पितामह श्री दादासाहेब फाल्के ने 1923 मे इस मूक फिल्म को बनाया था और इतना ही नहीं, 1924 मे डबिंग तकनीकि के आते ही डब करवाया था. यह भी सेतुबन्धन के भारतीय संस्कृति मे अतीव महत्व का अनूठा द्योतक है. इसी प्रकार आधुनिक भारतीय चित्रकला के उन्नायक व स्वनामधन्य श्री राजा रवि वर्मा ने भी सेतु बन्धन प्रसंग मे राम की समुद्र पर विजय को अपने कन्वास पर प्रधानता से उकेरा था. यह 'मास्टरपीस' आज भी राजा रवि वर्मा के चित्र-संग्रहालय मे देखी जा सकती है. आधुनिक भारत के प्रथम राष्ट्रकवि श्रीमान मैथिली शरण गुप्त ने अपने महाकाव्य 'साकेत' मे सेतु बन्धन को प्रधान स्थान दिया. स्वामी विवेकानन्द - जिनकी शिकागो यात्रा का प्रबन्ध तत्कालीन सेतुपति राजा ने किया था - उन्होने भी अपनी सिंहवाणी मे रामसेतु के विषय मे वर्णन किया है.
त) भारत मे ही नहीं बल्कि सुदूर कम्बोडिया, थाईलैण्ड, व बाली तक के अनेकानेक प्राचीन मन्दिरो के शिखरों पर, अन्यत्र अनेक भित्तिचित्रों पर, बिहार के मधुबनी व उडीसा के पारम्परिक म्यूरलों पर, एवँ मध्यकालीन सिक्कों पर रामसेतु व सेतुबन्धन के विषयवस्तु बहुतायत मे पाए जाते है.
थ) 'सेतुमाधव', 'सेतुरामन', 'सेतुसुन्दर', और कितने ही ऐसे नाम भारतीय माता-पिता अपनी संतानों को देते आये हैं. रामसेतु मे जनमानस की आस्था इसी से पता चल जाती है. बल्कि यही क्यों? सेतु के सन्निकट के पूरे क्षेत्र को एक समय सेतुनाडु कहा जाता था, व सेतु के दोनो ओर के समुद्र को सेतुसमुद्रम आज भी कहते हैं. और तो और, इस पोतमार्ग परियोजना का नाम भी तो भला उसी 'सेतु' से आया है!
महोदय, उपरोक्त बिन्दु केवल एक संकेत मात्र है यह दर्शाने के लिये, कि रामसेतु अत्यंत प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति का, जन-मानस का, हिन्दू आस्था का, प्रमुखतम चिन्ह रहा है. इसको नहीं नकारा जा सकता. किसी वस्तु के धरोहर कहलाने के लिये यह बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है कि वे मानव-निर्मित ही हों. इस आशय का पोषण न केवल भारत का संविधान व अंतरराष्ट्रीय मानक करते है, बल्कि इसका समर्थन विभिन्न न्यायालयों के समय-समय पर हुए निर्णय भी करते आए हैं. पुष्कर के ब्रम्ह सरोवर को धरोहर घोषित करने सम्बन्धी उच्चतम न्यायालय का निर्णय यहाँ प्रासंगिक है. रामसेतु एक मुख्य सांस्कृतिक-धार्मिक धरोहर है, भले ही वह प्राकृतिक भूगौलिक संरचना ही क्यों न हो. भला क्या कोई नकार सकता है कि बोधगया का बोधिवृक्ष भारत की, बल्कि विश्व-मात्र की, एक प्रधान धरोहर है - भले ही वह 'मानव-निर्मित' न हो!
भारत का शासन धरोहरों के प्रति सदैव सचेत रहता आया है. जब भी विकास-परियोजनाएँ ऐसी धरोहरोँ पर जरा भी आंच डालती भासित होती हैं, शासन ने सदैव आस्था और धरोहरों की संरक्षा को ही चुना है. हाल ही मे, दिल्ली मे लोधीमार्ग परियोजना को इस सन्देह पर रुकवाया दिया गया है कि कहीं इससे मुगल शासक हुमायूँ के मकबरे को कोई क्षति न पहुँचे. इसी भांति देहली मेट्रोरेल परियोजना के मेहरौली-गुड्गाँव भाग की योजना मे भारी परिवर्तन किए गए थे ताकि भले ही योजना के खर्च और समय मे वृद्धि हो जाय किंतु कुतुबमीनार इत्यादि को कोई भी क्षति न होने पाये. आगरा मे ताज-कोरीडोर परियोजना को इस आधार पर तत्काल रोक दिया गया था कि इससे ताजमहल पर प्रभाव होने की आशंका जताई गई थी. ऐसे ही मुम्बई मे कुर्ला-बान्द्रा फ्लाई-ओवर परियोजना को इस सावधानी के चलते परिवर्तित किया गया कि हाजी अली की दरगाह पर कैसा भी प्रभाव न पडे.
महोदय, जिस प्रकार भारत शासन इन उपरोक्त धरोहरों के प्रति सचेत है, उसी प्रकार रामसेतु - जो कि भारत की एक अत्यंत प्राचीन धरोहर है - उसे भी संरक्षित करना सुनिश्चित करें. शासन को कतई कोई अधिकार नहीं है कि रामसेतु जैसी आस्था से जुडी धरोहर के साथ कैसी भी, किसी भी मात्रा मे, छेड्छाड की जाए. सेतुसमुद्रम परियोजना का वर्तमान मार्ग तत्काल निरस्त किया जाय. सेतुसमुद्रम परियोजना का विस्तृत पुनरावलोकन किया जाय. इस प्रक्रिया मे आर्थिक, सामरिक, भूगौलिक, नौसैनिक, ओशियनोग्राफिक, पर्यावरण और पुरातत्व विशेषज्ञों का समावेश हो.
अंत मे, स्कान्द पुराण से एक रोचक और मार्मिक उद्धरण देना चाहेंगे:
भूयो भूयो भाविनो भूमिपाला नत्वा नत्वा याचते रामचन्द्रः
सामान्योयम धर्मसेतुर्नराणाम काले काले पालनीयो भविद्धिः
(40/34 स्कान्द पुराण, ब्रम्हखण्डम्)
श्रीरामचन्द्र अत्यंत विनयपूर्वक, बारम्बार झुक झुक कर, भविष्य मे आने वाले समस्त शासकों से विनम्र याचना करते हैं, कि हे भावी राजनगण, मेरे द्वारा जनकल्याण हेतु निर्मित इस धर्मसेतु की सदैव सुरक्षा करते रहें.
महोदय, आपसे रामसेतु की सुरक्षा सुनिश्चित करने की करबद्ध याचना है.
सधन्यवाद,
Sd-
xxxx
Ph: xxxx
E-mail xxxx
परिशिष्ट
1: स्कान्द पुराण मे रामसेतु की महत्ता
2: सेतुरक्षक सेतुपति राजा - Link
3: Robert Needham Cust, from 'Linguistic And Oriental Essays'
4: Aa Setu Himaachalam – Survey of India’s original insignia
5: Lodhi Road Tunnel project Blackballed in name of Heritage - Link
In the notification they had explicitly asked for all the correspondance to be in English only. To protest, we have written to them in Hindi.
सेवा में:
सेतुसमुद्रम पोतमार्ग परियोजना की विशिष्ट गणमान्य-जन समिति,
मालगै, 30/95 पी एस कुमारस्वामी राजा (ग्रीनवेज़) मार्ग
चेन्नई 600 028
माननीय महोदय,
विषय: परियोजना-विषयक आपत्तियाँ व सुझाव
राष्ट्रीय व स्थानीय समाचार पत्रों में विज्ञप्ति के माध्यम से आपने जनसामान्य को आमंत्रित किया था कि परियोजना के विषय मे आपत्तियाँ एवँ सुझाव आप तक पहुँचाये जा सकते हैं. विज्ञप्ति मे आपने स्पष्ट कर दिया था कि उक्त पत्राचार आपको केवल अंग्रेजी भाषा मे ही स्वीकार्य होंगे. महोदय, सर्वप्रथम आपको यह चेत हो कि भारत-जन की भाषा अंग्रेजी नहीं वरन अनेक भारतीय भाषायें हैं, और भारतीय भाषाओं के प्रति आपकी अपमान-जनक अवहेलना न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि भर्त्सना की भी पात्र है. आपको कदाचित होने वाली असुविधा के लिये खेद के साथ, यह पत्र भारतीय राजभाषा हिन्दी मे सगर्व और सविनय आपको सम्बोधित है.
रामसेतु एक साँस्कृतिक-धार्मिक धरोहर है, इसके साथ कैसी भी छेड-छाड करने का किसी को अधिकार नहीं! 'राम हुए थे अथवा नहीं' - न केवल यह नितांत अनावश्यक विवाद है - बल्कि 'सेतु का निर्माण कैसे हुआ' - यह भी सर्वथा अप्रासंगिक और व्यर्थ का प्रलाप है. अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक संस्थान (यूनेस्को) एवँ भारतीय संविधान, दोनों के दृष्टिकोण से, प्रासंगिक और वैधानिक प्रश्न केवल इतना ही है कि क्या रामसेतु एक अत्यंत दीर्घ काल से जन-मानस मे धरोहर का स्थान रखता है? इस प्रश्न के उत्तर मे बहुत कुछ प्रस्तुत किया जा सकता है, किंतु सारांश मे केवल कुछ बिन्दु इंगित करना पर्याप्त होगा.
क) हिन्दू धर्म-शास्त्रों - न केवल वाल्मीकि रामायण बल्कि विभिन्न असंख्य लोकप्रचलित रामायणों, पुराणों (विष्णु,पद्म, वायु, नारद, स्कान्द इत्यादि), एवँ महाभारत मे - रामसेतु का प्रचुर और प्रधानतापूर्वक महत्व-मण्डन मिलता है. रामसेतु की महिमा त्रेता युग के अक्षय चिन्ह और जनसामान्य के लिये अनंत तक सर्व-पाप-नाशक तीर्थ के स्वरूप मे की गई है. बौद्ध ग्रंथोँ जैसे कि लंकावतार सूत्र मे भी सेतु का वर्णन है. ये सभी ग्रंथ सहस्त्राब्दियों या कम-से-कम अनेक शताब्दियों पुराने हैं.
ख) हिन्दू परम्परा मे सेतु वह अद्वितीय तीर्थ-उपकरण माना गया है, जहाँ मनुष्य जघन्यातिजघन्य पापोँ से मुक्ति हेतु प्रायश्चित्त कर पाता है. स्कान्द महापुराण जो कि समस्त पुराणों मे सबसे दीर्घ और सुविस्तृत है, इसमे ऐसा वर्णन है कि ब्रम्ह-हत्या और गुरुतल्पगमन (गुरु-पत्नी के साथ अनैतिक आचरण) - इन पापों से मनुष्य की मुक्ति केवल रामसेतु-सेवन से हो सकती है. (परिशिष्ट 1)
ग) प्रत्येक भारतीय भाषा के साहित्यिक वांग़्मय मे भी रामसेतु कई शताब्दियों से कौतुक का विषय निरंतर बना रहा है. प्रथम शताब्दी ईसापूर्व मे कविकुलगुरु कालीदास-कृत रघुवंश से ले कर सातवीं/आठवीं सदी मे महाकवि भवभूति द्वारा रचित महावीरचरितम तक रामसेतु ने संस्कृत कवियों के साहित्य सृजन मे प्रचुर स्थान पाया. अन्य भाषाओं के कवियों जैसे कि तमिल मे महाकवि कम्बन ने बारहवीं सदी मे सेतु पर बहुत कुछ लिखा.
घ) रामसेतु के नाम से, प्राचीन ऐतिहासिक काल से ही सुदूर दक्षिण तमिलनाडु के राजाओँ को सेतुपति की उपाधि प्राप्त होती थी. जनश्रुति इन सेतुपति राजाओं को अत्यंत प्राचीन मारवा जाति के वीर बताती है, जिन्हे कि रामसेतु की सुरक्षा का दायित्व मिला था. अंकित और पुष्ट इतिहास मे भी, रामनाड के सेतुपति राजाओं का वर्णन कम-से-कम 11-वीं शताब्दी जितने पहले से आना आरम्भ हो जाता है जब कि सम्राट राजराजा चोल द्वारा उन्हे रामसेतु की रक्षा का प्रभारी नियुक्त किया जाना वर्णित है. (परिशिष्ट 2)
च) 18-वीं व 19-वीं सदी के योरोपीय इतिहासकारों और इण्डोलाजिस्ट्स ने भारतीय जन में सेतु की महत्ता के विषय मे प्रायः लिखा है. एक ऐसा ही रोचक वर्णन रायल एशियाटिक सोसाइटी के विख्यात फिलोलोजिस्ट राबर्ट कस्ट ने रामसेतु के प्रति जनता की आस्था के विषय मे किया था. उन्होने 1846 मे लिखा कि, 'राम ने कहा था जब तक सृष्टि है तब तक रामसेतु बना रहेगा, और उनकी वाणी सच ही होती लग रही है.' (परिशिष्ट 3)
छ) भारतीय सर्वेक्षण का प्राचीनतम एम्ब्लेम एक समय तक हुआ करता था - 'आसेतु हिमाचलम्' : सेतु से हिमालय तक. इस प्रकार स्वयम् ASI का एम्ब्लेम तक सेतु की महत्ता को स्वीकार करता था. (परिशिष्ट 4)
ज) 1974 मे भारत और श्रीलंका द्वारा की गई समुद्रीय परिसीमन सन्धि ने भी सेतुसमुद्रम के जल को 'ऐतिहासिक' घोषित किया था.
झ) भारत की सबसे पहली डब की जाने वाली फिल्म की ख्याति जिस चित्रपट को प्राप्त है, वह है - 'सेतुबन्धन'. जनमानस मे रामसेतु के प्रति आस्था को देखते हुए, भारतीय सिनेमा के पितामह श्री दादासाहेब फाल्के ने 1923 मे इस मूक फिल्म को बनाया था और इतना ही नहीं, 1924 मे डबिंग तकनीकि के आते ही डब करवाया था. यह भी सेतुबन्धन के भारतीय संस्कृति मे अतीव महत्व का अनूठा द्योतक है. इसी प्रकार आधुनिक भारतीय चित्रकला के उन्नायक व स्वनामधन्य श्री राजा रवि वर्मा ने भी सेतु बन्धन प्रसंग मे राम की समुद्र पर विजय को अपने कन्वास पर प्रधानता से उकेरा था. यह 'मास्टरपीस' आज भी राजा रवि वर्मा के चित्र-संग्रहालय मे देखी जा सकती है. आधुनिक भारत के प्रथम राष्ट्रकवि श्रीमान मैथिली शरण गुप्त ने अपने महाकाव्य 'साकेत' मे सेतु बन्धन को प्रधान स्थान दिया. स्वामी विवेकानन्द - जिनकी शिकागो यात्रा का प्रबन्ध तत्कालीन सेतुपति राजा ने किया था - उन्होने भी अपनी सिंहवाणी मे रामसेतु के विषय मे वर्णन किया है.
त) भारत मे ही नहीं बल्कि सुदूर कम्बोडिया, थाईलैण्ड, व बाली तक के अनेकानेक प्राचीन मन्दिरो के शिखरों पर, अन्यत्र अनेक भित्तिचित्रों पर, बिहार के मधुबनी व उडीसा के पारम्परिक म्यूरलों पर, एवँ मध्यकालीन सिक्कों पर रामसेतु व सेतुबन्धन के विषयवस्तु बहुतायत मे पाए जाते है.
थ) 'सेतुमाधव', 'सेतुरामन', 'सेतुसुन्दर', और कितने ही ऐसे नाम भारतीय माता-पिता अपनी संतानों को देते आये हैं. रामसेतु मे जनमानस की आस्था इसी से पता चल जाती है. बल्कि यही क्यों? सेतु के सन्निकट के पूरे क्षेत्र को एक समय सेतुनाडु कहा जाता था, व सेतु के दोनो ओर के समुद्र को सेतुसमुद्रम आज भी कहते हैं. और तो और, इस पोतमार्ग परियोजना का नाम भी तो भला उसी 'सेतु' से आया है!
महोदय, उपरोक्त बिन्दु केवल एक संकेत मात्र है यह दर्शाने के लिये, कि रामसेतु अत्यंत प्राचीन काल से भारतीय संस्कृति का, जन-मानस का, हिन्दू आस्था का, प्रमुखतम चिन्ह रहा है. इसको नहीं नकारा जा सकता. किसी वस्तु के धरोहर कहलाने के लिये यह बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है कि वे मानव-निर्मित ही हों. इस आशय का पोषण न केवल भारत का संविधान व अंतरराष्ट्रीय मानक करते है, बल्कि इसका समर्थन विभिन्न न्यायालयों के समय-समय पर हुए निर्णय भी करते आए हैं. पुष्कर के ब्रम्ह सरोवर को धरोहर घोषित करने सम्बन्धी उच्चतम न्यायालय का निर्णय यहाँ प्रासंगिक है. रामसेतु एक मुख्य सांस्कृतिक-धार्मिक धरोहर है, भले ही वह प्राकृतिक भूगौलिक संरचना ही क्यों न हो. भला क्या कोई नकार सकता है कि बोधगया का बोधिवृक्ष भारत की, बल्कि विश्व-मात्र की, एक प्रधान धरोहर है - भले ही वह 'मानव-निर्मित' न हो!
भारत का शासन धरोहरों के प्रति सदैव सचेत रहता आया है. जब भी विकास-परियोजनाएँ ऐसी धरोहरोँ पर जरा भी आंच डालती भासित होती हैं, शासन ने सदैव आस्था और धरोहरों की संरक्षा को ही चुना है. हाल ही मे, दिल्ली मे लोधीमार्ग परियोजना को इस सन्देह पर रुकवाया दिया गया है कि कहीं इससे मुगल शासक हुमायूँ के मकबरे को कोई क्षति न पहुँचे. इसी भांति देहली मेट्रोरेल परियोजना के मेहरौली-गुड्गाँव भाग की योजना मे भारी परिवर्तन किए गए थे ताकि भले ही योजना के खर्च और समय मे वृद्धि हो जाय किंतु कुतुबमीनार इत्यादि को कोई भी क्षति न होने पाये. आगरा मे ताज-कोरीडोर परियोजना को इस आधार पर तत्काल रोक दिया गया था कि इससे ताजमहल पर प्रभाव होने की आशंका जताई गई थी. ऐसे ही मुम्बई मे कुर्ला-बान्द्रा फ्लाई-ओवर परियोजना को इस सावधानी के चलते परिवर्तित किया गया कि हाजी अली की दरगाह पर कैसा भी प्रभाव न पडे.
महोदय, जिस प्रकार भारत शासन इन उपरोक्त धरोहरों के प्रति सचेत है, उसी प्रकार रामसेतु - जो कि भारत की एक अत्यंत प्राचीन धरोहर है - उसे भी संरक्षित करना सुनिश्चित करें. शासन को कतई कोई अधिकार नहीं है कि रामसेतु जैसी आस्था से जुडी धरोहर के साथ कैसी भी, किसी भी मात्रा मे, छेड्छाड की जाए. सेतुसमुद्रम परियोजना का वर्तमान मार्ग तत्काल निरस्त किया जाय. सेतुसमुद्रम परियोजना का विस्तृत पुनरावलोकन किया जाय. इस प्रक्रिया मे आर्थिक, सामरिक, भूगौलिक, नौसैनिक, ओशियनोग्राफिक, पर्यावरण और पुरातत्व विशेषज्ञों का समावेश हो.
अंत मे, स्कान्द पुराण से एक रोचक और मार्मिक उद्धरण देना चाहेंगे:
भूयो भूयो भाविनो भूमिपाला नत्वा नत्वा याचते रामचन्द्रः
सामान्योयम धर्मसेतुर्नराणाम काले काले पालनीयो भविद्धिः
(40/34 स्कान्द पुराण, ब्रम्हखण्डम्)
श्रीरामचन्द्र अत्यंत विनयपूर्वक, बारम्बार झुक झुक कर, भविष्य मे आने वाले समस्त शासकों से विनम्र याचना करते हैं, कि हे भावी राजनगण, मेरे द्वारा जनकल्याण हेतु निर्मित इस धर्मसेतु की सदैव सुरक्षा करते रहें.
महोदय, आपसे रामसेतु की सुरक्षा सुनिश्चित करने की करबद्ध याचना है.
सधन्यवाद,
Sd-
xxxx
Ph: xxxx
E-mail xxxx
परिशिष्ट
1: स्कान्द पुराण मे रामसेतु की महत्ता
2: सेतुरक्षक सेतुपति राजा - Link
3: Robert Needham Cust, from 'Linguistic And Oriental Essays'
4: Aa Setu Himaachalam – Survey of India’s original insignia
5: Lodhi Road Tunnel project Blackballed in name of Heritage - Link