Monday, December 31, 2007

Massive Rally in Delhi to Protect Rama Setu

More than a hundred thousand people from all across the nation assembled in Swarna jayanti Maidan of Rohini Delhi to launch a massive stir against Sethusamudram project and protect Rama Setu.
The rally was a huge success. Different sources place the attendance to different numbers. While Dainik Jagran and Times of India place the number to over 1 Lakhs, other sources make it over 2 Lakhs.


Dainik Jagran Reported:

दिल्ली में दहाड़ने पहुंचे रामभक्त
नई दिल्ली। रामसेतु मुद्दे को राम जन्मभूमि आंदोलन की तर्ज पर गरमाने में विश्व हिंदू परिषद सफल रही है। उसने इस मुद्दे पर भाजपा समेत पूरे संघ परिवार को तो एक साथ जुटाया ही है, शिवसेना, अकाली दल व अन्नाद्रमुक जैसे दल भी उसके साथ आ खड़े हुए हैं। देश भर के हिंदू संत समाज के साथ जैन, बौद्ध व सिख धमाचार्य भी उसके साथ खडे़े हैं। इस व्यापक समर्थन व दिल्ली के स्वर्ण जयंती पार्क में उसके आव्हान पर उमड़े लाखों लोगों से मिली ताकत से विहिप ने केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। उसने केंद्र को चेतावनी भी दे दी है कि यदि 16 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में राम सेतु मामले पर दिए जाने वाले शपथ पत्र में वह राम के खिलाफ गई तो गांव-गांव में सरकार की ईंट से ईंट बजा दी जाएगी और पूरे देश में उग्र आंदोलन छेड़ा जाएगा।
डेढ़ दशक पहले विहिप ने राम जन्मभूमि आंदोलन को लेकर चार अप्रैल 1991 को दिल्ली के वोट क्लब पर जो रैली की थी, यह रैली भी संख्या की दृष्टि से लगभग वैसी ही थी। हालांकि इसमें उस तरह का भावनात्मक ज्वार नहीं था, लेकिन इस बार मुद्दा आस्था के साथ व्यापक राष्ट्रीय हितों का होने से यह संख्या काफी मायने रखती है। केंद्र में सत्ताधारी कांग्रेस व उसके सहयोगी द्रमुक ने भगवान राम के अस्तित्व पर जो सवालिया निशान खड़ा किया था, उससे आहत हुई भावनाओं का ज्वार भी इस इस विशाल जनसमुदाय में दिखाई दिया। इसलिए सम्मेलन को राजनीति से दूर रखने के बावजूद कुछ वक्ताओं के निशाने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आ ही गईं। जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता का संदेश पढ़ते हुए कहा कि, 'जयललिता देश की मिंट्टी की महिला हैं कोई इटली से आई विषकन्या नहीं।' योगी आदित्यनाथ भी सोनिया गांधी के खिलाफ आग उगलने में पीछे नहीं रहे।
सम्मेलन में राजनेता आए जरूर, लेकिन केवल श्रोता बनकर रहे। संतों, विहिप व राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के नेताओं को ही बोलने का मौका मिला। जो प्रमुख लोग नहीं आ सके उनके संदेश आए जो मंच पर पढ़े गए। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, अकाली दल के प्रमुख व पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश ंिसंह बादल, अन्नाद्रमुक की सुप्रीमो जयललिता, माता अमृतानंदमयी, शकंराचार्य स्वरूपानंद, शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती व शंकराचार्य भारतीतीर्थ के संदेश शामिल हैं। सभी ने रामसेतु तोड़े जाने का विरोध करते हुए इसकी रक्षा के लिए छेड़े गए आंदोलन का समर्थन किया। वाजपेयी ने अपने संदेश में कहा है, 'आज की रैली से प्रकट हुई संकल्प शक्ति सरकार को सद्बुद्धि प्रदान करेगी। मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह जिद छोड़कर रामसेतु को ऐतिहासिक राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संरक्षित रखते हुए अन्य वैकल्पिक योजना बनाए। आस्था व विकास विरोधाभासी नहीं हैं।'
सम्मेलन में साध्वी ऋतंभरा व प्रवीण तोगड़िया ने जहां अपने भाषणों से जनता की भावनाओं का ज्वार जगाया, वहीं संघ प्रमुख सुदर्शन ने एतिहासिक, वैज्ञानिक साक्ष्यों के साथ रामसेतु को तोड़कर नहर बनाए जाने होने वाले नुकसानों का तार्किक व्याख्या की और कहा कि यह नहर आर्थिक दृष्टि से भी भारी नुकसानदेह साबित होगी। सम्मेलन में अलग से बनाए गए मंच पर उपस्थित राजनेताओं में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह, वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, अरुण जेटल, सुषमा स्वराज, विजय कुमार मल्होत्रा, सुब्रमण्यम स्वामी, शिवसेना सांसद चंद्रकांत खैरे के साथ भाजपा शासित राज्यों के चार मुख्यमंत्री राजस्थान की वसुंधरा राजे, उत्तराखंड के भुवनचंद्र खंडूरी, मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान व छत्तीसगढ़ के रमन सिंह भी उपस्थित थे।
Indian Express writes:
New Delhi, December 30: A huge rally organised by the Sangh Parivar in New Delhi on Sunday to protest the alleged destruction of Ram Sethu marked the beginning of its campaign against the UPA Government at the Centre ahead of the next general elections with speaker after speaker urging people to throw out the Congress-led coalition.

Demanding that Ram Sethu be declared a national monument and Rameswaram a holy city, the sadhus exhorted Hindus to use their voting right to throw out “all opponents of Ram” from the corridors of power.
While RSS chief K S Sudarshan attacked the Congress for the affidavit it had submitted in the Supreme Court denying the historical existence of Ram, VHP leader Ashok Singhal blamed the Congress and the Communists for calling Ram an imaginary figure.
Asserting that Ram was a historical Mahapurush and India an ancient nation, he said that both the Sethu and the nation belongs to Ram (Ram ka hai Setu, Ram ka hai desh).
Acharya Dharmendra attacked the Congress in general and Sonia Gandhi in particular, calling her a foreigner. He said that today’s Congress party was not the Congress of Tilak, Malaviya and Patel and claimed that it no longer possesses a right-of-the-centre space in the country.
The Hindus should now take out the funeral procession of the Congress with the slogan ‘Ram Naam Satya Hai’, he said.
The organisers, meanwhile, distributed a letter of support written by AIADMK leader J Jayalalithaa, an important ally in the Ram Setu campaign.
Though many BJP leaders like Murli Manohar Joshi, Arun Jaitley, Prem Kumar Dhumal, Shivraj Singh Chouhan, Vasundhara Raje, and Sushma Swaraj attended the meeting.

Interestingly, placards carrying anti-caste slogans were on display at the rally. They read, ‘Jaat paat ka Bandhan todo, Bharat ko Sri Ram se jodo (Break caste bonds, unite India in the name of Ram).
Jagran also reported that many leaders sent their messages for the rally. Summary of these messages:
अटल बिहारी बाजपेयी, पूर्व प्रधानमंत्री:
सेतु जोड़ते हैं लोगों को लोगों से, समाज को दुनिया से, अतीत को वर्तमान और भविष्य से, संस्कृति एवं सभ्यताओं को सभ्यताओं से। श्रीरामसेतु भी एक ऐसा सेतु है जिससे हमारा गौरवशाली अतीत जुड़ा है। इसका न केवल सांस्कृतिक, आर्थिक एवं सामरिक महत्व है, बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय अस्मिता की एक और पहचान है। यह करोड़ों भारतीयों की आस्था का भी सेतु है। ऐसे सेतु को तोड़ना ठीक नहीं है। रामसेतु का टूटना लाखों करोड़ों लोगों की आस्था पर चोट करने जैसा है। कोई भी संवेदनशील एवं समझदार सरकार ऐसा काम नहीं कर सकती।
स्वरूपानंद जी महराज, शंकराचार्य शारदापीठ:
रामसेतु हमारी धरोहर है। उसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए। यह कोई राजनीतिक विषय नहीं है। यह रामसेतु की रक्षा विषय है जिसके लिए हम सब एक हैं।

शंकराचार्य श्रीभारतीतीर्थ जी महाराज:
सेतुबंध सनातनधर्मियों का महान तीर्थ है। परंपरा से तीर्थयात्री सेतुबंध रामेश्वरम का दर्शन करके अपने को धन्य मानते चले आए हैं। राष्ट्र, संस्कृति और पर्यावरण की दृष्टि से भी इस सेतु का संरक्षण बहुत जरूरी है। भारत सरकार से आग्रह है कि सेतु को तोड़ना रोके तथा जनता से अनुरोध है कि वे अहिंसात्मक रीति से अपनी आपत्तिदर्ज कराएं।

शंकराचार्य गोवर्धनपीठ स्वामी निश्चलानंद सरस्वती:
भगवान राम हमारी आस्था के केंद्र हैं। उनके द्वारा प्रतिष्ठित शिवलिंग हमारी आस्था का केंद्र है। उनकी प्रेरणा से प्रतिष्ठित रामसेतु को जो लोग विदेशी षड्यंत्र के तहत शिप कैनाल प्रोजेक्ट के नाम पर विखंडित करा रहे हैं, वे मानवता के लिए कलंक हैं। आश्चर्य की बात है कि भगवान राम के अस्तित्व को कभी विदेशी शासकों ने भी चुनौती नहीं दी थी। दिल्ली व तमिलनाडु की सरकार इसके लिए प्रायश्चित व पाश्चात्ताप करे।

माता अमृतानंदमयी देवी:
रामसेतु अब तर्क का विषय नहीं है। यह करोड़ों लोगों के विश्वास व श्रद्धा का केंद्र है। विश्व के सभी देश अपने सांस्कृतिक स्मारकों को बड़े ध्यान से संरक्षित करते हैं। वहां इसके लिए कोई तर्क नहीं करता है। भारत केएक राष्ट्र होने के संकल्प को सर्वाधिक बल इन तीर्थस्थलों से ही मिलता है। हिमालय के निकट रहने वाला हो या असम का, वह जब रामेश्वरम में तीर्थ स्नान करता है तो उसके मन में यह भाव जगता है कि यह भी हमारे देश का हिस्सा है। जहां तक इसके आर्थिक नुकसान व लाभ का पक्ष है तो इस स्थल को विश्व का आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर उसकी भरपाई की जा सकती है।
जयललिता, तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री:
जब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट सौंपने से पहले इस सेतु के परीक्षण के लिए कमेटी का गठन किया तो मुझे लगा कि मैं लोगों के सामने कुछ तथ्यों को उजागर करूं। इस कमेटी एक सदस्य नेशनल एन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट से संबंधित हैं जिनका इस प्रोजेक्ट से सीधा हित जुड़ा हुआ है। दूसरे सदस्य आरएस शर्मा हैं। ये वहीं शर्मा जी हैं जो रामजन्मभूमि मामले में बाबरी एक्शन कमेटी के गवाह हैं। कमेटी के अध्यक्ष एस. रामचंद्रन कमेटी के गठन के पहले ही सेतु समुद्रम परियोजना के पक्ष में विचार सार्वजनिक कर चुके हैं। ऐसे में कमेटी व उसकी रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर गंभीर संदेह है। मैं रैली की सफलता की कामना करती हूं।

प्रकाश सिंह बादल, मुख्यमंत्री, पंजाब:
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों ने रामसेतु के मुद्दे पर गैरजरूरी विवाद खड़ा करने की कोशिश की है। इससे बचा जा सकता था। रामायण में वर्णित आध्यात्मिक विरासत के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए मैं भी लाखों देशवासियों के साथ सम्मिलित हो रहा हूं।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/delhi/4_3_4038554.html

hits since Chaitra 7, 2064 Vikram (March 26, 2007)