Sunday, May 11, 2008

रामसेतु : खुद पहल के मूड में नहीं केंद्र

Dainik Jagran May 10, 2008

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : संप्रग सरकार की अगुवाई कर रही कांग्रेस रामसेतु मामले में अब फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती जिससे सरकार के लिए नई मुसीबत पैदा हो। इसलिए यह उम्मीद कम ही है कि रामसेतु के लिए वैकल्पिक मार्ग तलाशने की संभावनाओं पर सरकार अपनी तरफ से कोई पहल करेगी। कांग्रेस से मिले संकेतों से साफ है कि इस संवेदनशील मामले में सरकार सुप्रीमकोर्ट के स्पष्ट निर्देशों का इंतजार करेगी। पार्टी का मानना है कि रामसेतु के लिए वैकल्पिक मार्ग तलाशने का मसला हो या वर्तमान परियोजना को कार्यान्वित करने का, दोनों उसके लिए आगे कुंआ, पीछे खाई वाली स्थिति पैदा करते हैं।

सरकार रामसेतु के लिए वैकल्पिक मार्ग की संभावनाओं को टटोलने की हामी भरती है तो संप्रग का बेहद अहम घटक द्रमुक उसे चैन नहीं लेने देगा। जबकि मौजूदा परियोजना को आगे बढ़ाने पर विपक्षी दल भाजपा का विरोध और उग्र हो सकता है। मौजूदा परियोजना को आगे बढ़ाने में पुराने सेतु के अवशेषों को तोड़ा जाना लाजिमी होगा। पार्टी का मानना है कि जिस तरह भाजपा रामसेतु मामले पर गुजरात चुनाव के समय से ही कांग्रेस के खिलाफ दुष्प्रचार करती आ रही है उसका यह अभियान अगले लोकसभा चुनाव में भी जारी रहेगा। वैसे भी रामसेतु के विवादास्पद शपथपत्र प्रकरण से बड़ी मुश्किल से सरकार अब जाकर जान छुड़ा पाई है। ऐसे में पार्टी का साफ कहना है कि रामसेतु का मामला अब सर्वोच्च अदालत में है और इसमें केंद्र सरकार न्यायालय के आदेशों के अनुरूप ही कदम उठाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को रामसेतु के लिए वैकल्पिक मार्ग तलाशने की संभावनाओं पर विचार करने को कहा। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कोई स्पष्ट आदेश नहीं दिया है। सरकार इस बारे में अदालत के स्पष्ट निर्देशों के अनुसार ही कदम उठाना चाहती है ताकि उस पर कोई राजनीतिक आंच न आए। संप्रग और कांग्रेस के इस नजरिए से साफ है कि वह रामसेतु प्रकरण पर चल रही सुनवाई प्रक्रिया को लंबा खींचने के पक्ष में हैं जिससे अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें इस विवाद से राहत मिल जाए। वैकल्पिक मार्ग तलाशने की संभावनाओं पर सुप्रीमकोर्ट की सलाह के बारे में कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद की टिप्पणी भी इसी ओर संकेत कर रही थी। शकील ने कहा कि इस मामले में पार्टी और सरकार सर्वोच्च अदालत के फैसले को ही मानेगी।

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