May 28, 2007
राम सेतु मांग रहा बलिदान, रहें तैयार : सिंहल - Dainik Jagran
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : साढ़े सत्रह लाख वर्ष पुराने व हिंदू समाज की आस्था के प्रतीक श्रीराम सेतु को तोड़ने के विरोध में विश्व हिंदू परिषद एवं देश के धर्माचार्यो ने रामलीला मैदान में सम्मेलन कर हिंदू समाज से बलिदान के लिए तैयार रहने को कहा। विश्व हिंदू परिषद ने घोषणा की कि केंद्र सरकार 21 जुलाई तक चेत जाए। 22 जुलाई को दिल्ली में धर्म संसद का आयोजन किया जाएगा जिसमें राम सेतु को विखंडन से बचाने के लिए शक्ति के प्रयोग को व्यावहारिक बनाने के लिए धर्मगुरु का रास्ता तैयार करेंगे। श्रीराम सेतु रक्षा मंच के तत्वावधान में रविवार को रामलीला मैदान में आयोजित रैली में विश्व हिंदू परिषद, भारतीय जनता पार्टी व जनता पार्टी के नेता, देश के शंकराचार्य एवं कोने-कोने से आए धर्मगुरुओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन की अध्यक्षता जगद्गुरु माधवाचार्य जी महाराज एवं मंच संचालन बी. एल. शर्मा ने किया। विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंहल ने कहा कि श्रीराम सेतु को तोड़ने के दो कारण हैं। एक भारतीय संस्कृति व इतिहास पर कुठाराघात एवं दूसरा थोरियम के भंडार को समाप्त करना, ताकि भारत ऊर्जा के क्षेत्र में महाशक्ति नहीं बन सके। उन्होंने दिल्लीवासियों का आह्वान किया कि कोई भी काम बलिदान के बिना नहीं होता, इसलिए राम सेतु को बचाने के लिए बलिदान देने के लिए तैयार रहें। महासचिव प्रवीण भाई तोगडि़या ने कहा कि पान यूरोपीय कैनाल के रास्ते में क्लियोपेट्रा का डूबा महल आ गया तो उसे रोक दिया गया, मिस्र में पिरामिड के ऊपर से विमान के उड़ने पर रोक है, लेकिन भारत की संप्रग सरकार एकमात्र ऐसी सरकार है जो देश की सांस्कृतिक अस्मिता को मिटाने पर तुली है। यही राम सेतु की जगह कोई अली सेतु होता तो सरकार उसे हाथ लगाने की कोशिश भी नहीं करती। पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि कई कमेटियों ने भारत व श्रीलंका के बीच भू-मार्ग पर नहर निकालने का सस्ता व सुगम रास्ता सुझाया, लेकिन संप्रग सरकार श्रीराम सेतु को तोड़ने पर अड़ी है। जहाजरानी मंत्री ने तो संसद में यहां तक कह डाला कि वह सेतु तोड़कर ही नहर बनाएंगे जिसका संसद में सभी पाटियों ने विरोध किया। सेतु को बचाने के लिए जनआंदोलन की जरूरत है। जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि यह ओम एवं रोम (सोनिया गांधी) के बीच का युद्ध है, जिसमें रोम को ध्वस्त करने के लिए जनता को आगे आना होगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने ही नहीं, बल्कि इसरो के वैज्ञानिकों ने भी सरकार को बताया है कि यह मानव निर्मित पुल है, लेकिन रोम के इशारे पर इसे आदम सेतु बताकर तोड़ा जा रहा है। महंत सुधीरदास ने बताया कि केरल के समुद्रीय तट पर तीन लाख 60 हजार टन थोरियम का भंडार है जो राम सेतु की वजह से ही सुरक्षित है। यह परमाणु ऊर्जा का ऐसा अक्षय स्रोत है जिससे भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाएगा। अमेरिका व पश्चिमी देश यही नहीं चाहते और वर्तमान सरकार उन्हीं के इशारे पर राम सेतु को तोड़ने पर तुली है। महापौर आरती मेहरा ने मंच के अध्यक्ष जगद्गुरु माधवाचार्य का स्वागत किया। इस अवसर पर शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, राम जन्म भूमि न्यास के महंत नृत्य गोपाल दास, प्रज्ञानंद महाराज, काशी के पीठाचार्य नरेंद्रानंद महाराज सहित कई धर्मगुरुओं ने लोगों को आंदोलन के लिए तैयार रहने को कहा।
Accusing the Congress-led government of a conspiracy to undermine Hindu culture and heritage, prominent sants and VHP leaders on Sunday convened a Dharm Sansad (conclave) of top Hindu religious heads in the Capital on July 22 to take a do-or-die decision on the issue if their warning to leave the Ram Setu untouched is not heeded by then. “The time has come for Hindus to make a big sacrifice. We are ready for any drastic action. If the need arises, even shakti pradarshan (show of strength) will be resorted to,” thundered VHP chief Ashok Singhal at a massive rally in Old Delhi’s Ram Leela ground.
The warning was echoed by several other top leaders of various Hindu sects, including Mahant Nritya Gopal Das, the president of Shri Ram Janmbhoomi Nyas (temple trust) of Ayodhya. Jagadguru Shankaracharya Swami Vasudevanand of Jyotishpeeth and Swami Vishvesh Tirth of Pejawar Mutt, Udupi, were among the other prominent participants at the meet besides VHP secretary general Pravin Togadia.
There was fiery rhetoric aplenty, but it was Janata Party chief Subramaniam Swamy who played the demagogue and stole the show with his punch line that captured the fancy of the sants as well as the assembled crowds. “Sangharsh ke liye tayyar rahiye.Yeh sangharsh hoga Om aur Rome ke beech mein, (Be ready for the struggle.This battle will be between Om and Rome),” said Swamy in a veiled reference to Congress president Sonia Gandhi.
The leaders asserted that the mythological bridge Ram Setu, said to have been built by Lord Ram while invading Sri Lanka, was an important symbol of Hindu faith and must not be destroyed for the purpose of providing a clear channel for ships to pass through. Sensing the potential of Ram Setu as a Hindutva issue at a time when several state elections are on the horizon, the BJP too has taken it up in a big way in Parliament and outside. It will work in close coordination with the Sangh Parivar which plans to launch a countrywide campaign to highlight the issue.